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Vascular Day : वैस्कुलर डिजीज से बचना है तो पैरों को सुरक्षित रखें

आईसीएमआर के 5 साल के डेटा देखें तो 15 से 30 मिलियन लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं. वैस्कुलर डिजीज से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आवश्यक है.
भारत में जिस रफ्तार से डायबिटीज की संख्या बढ़ रही है, वह चिंता की बात है. लोग अकसर शरीर के बाकी अंगों का ध्यान रखते हैं और पैरों की देखभाल को भूल जाते हैं, तो ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
शरीर है तो बीमारियां भी होंगी. बीमारियां भी ऐसीऐसी कि नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ऐसी ही एक बीमारी है वैस्कुलर डिजीज. वैस्कुलर डिजीज से बचने के लिए ही वैस्कुलर सोसाइटी औफ इंडिया की तरफ से दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नैशनल स्टेडियम में राष्ट्रव्यापी वाकथोन का आयोजन किया गया, जिस में लोगों को वैस्कुलर से संबंधित बीमारियों के बारे में बताया गया. कुल मिला कर संदेश यही था कि इस डिजीज के बारे में लोग जानें और जागरूक रहें व लोगों को जागरूक करें भी.
क्या है वैस्कुलर डिजीज
वैस्कुलर डिजीज रक्त वाहिनियों (आर्टरी और नसों) की बीमारियों को संदर्भित करता है. आर्टरी खून को दिल से दूर और नसें खून को वापस दिल तक पहुंचाती हैं. कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम का काम शरीर में कोशिकाओं और अंगों को पोषक तत्व, औक्सीजन, हार्मोन व अन्य महत्वपूर्ण पदार्थ पहुंचाना है.
वैस्कुलर डिजीज के लक्षण
वैस्कुलर डिजीज के लक्षण कई प्रकार के हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि किस अंग में रक्त संचार बाधित हो रहा है. पैरों में दर्द या ऐंठन, चलने या गतिविधि करने पर दर्द, जिसे इंटरमिटेंट क्लोडिकेशन कहा जाता है ,पैरों में ठंडापन या सुन्नता जो रक्त प्रवाह कम होने के कारण होता है, पैरों में घाव या अल्सर जो ठीक नहीं हो रहे हैं. पैरों में नीलापन या काला पड़ना जो रक्त संचार में कमी के कारण होता है. नसों में सूजन जिसे वैरिकोज वेन्स कहते हैं. यदि आप को ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत किसी डाक्टर को दिखाने की जरूरत है.

वैस्कुलर डिजीज से बचाव के उपाय
स्वास्थ्यवर्धक आहार: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार लें. कोलेस्ट्रोल और संतृप्त वसा की मात्रा कम करें.
धूम्रपान से बचें: धूम्रपान धमनियों को सख्त कर सकता है और रक्त संचार को प्रभावित कर सकता है. इसे छोड़ना वस्कुलर स्वास्थ्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है.
नियमित व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने और धमनियों में रुकावट को कम करने में मदद कर सकती है.
स्वास्थ्य की निगरानी: यदि डायबिटीज, उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रोल है तो नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराएं और डाक्टर द्वारा सुझाई गई दवाएं समय पर लें.
स्ट्रैस मैनेजमैंट: तनाव को नियंत्रित करना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि तनाव रक्तचाप को बढ़ा सकता है.
दवाएं और उपचार: वैस्कुलर बीमारियों के उपचार में एंटीप्लेटलेट, एंटीकोएगुलेंट, और कोलेस्ट्रोल कम करने वाली दवाएं शामिल हो सकती हैं. कुछ मामलों में सर्जरी या एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता हो सकती है.
वजन नियंत्रण: स्वस्थ वजन बनाए रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिक वजन और मोटापा वैस्कुलर समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकते हैं.
वैस्कुलर डिजीज के कारण शरीर के किसी अंग को भी काटना पड़ सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर वर्ष वैश्विक स्तर पर एक मिलियन यानी 10 लाख से अधिक अंग विच्छेदन होते हैं. ऐसी स्थिति में सही समय पर इलाज और देखभाल कर के इसे रोका जा सकता है. भारत में लगभग 40-50 प्रतिशत अंग विच्छेदन डायबिटीज की जटिलताओं के कारण होते हैं. डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रोल जैसी बीमारियां दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं और इन बीमारियों के बढ़ने का एक बड़ा कारण खराब जीवनशैली बताया जा रहा है.

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