वक्फ कानून को नहीं रोकेगा सुप्रीम कोर्ट!…संविधान के इन 4 अनुच्छेद पर ही फंसा है पेच
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई टल गई है। अब 15 मई को यह सुनवाई होगी। वक्फ कानून में संविधान के कुछ अनुच्छेदों को लेकर भी याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाए हैं। उन अनुच्छेदों के बारे में समझते हैं।
नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून को चुनौती दी गई है। इस मामले में सोमवार को फिर सुनवाई होने वाली है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल पूछे थे। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने वक्फ बिल को चुनौती देने वाली याचिकाओं के पक्ष में दलीलें दीं। वहीं, सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की तरफ से तर्क रखे। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी CJI जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने उनसे तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने अगले आदेश तक यथास्थिति बहाल रखने को कहा है। याचिकाकर्ताओं को सिर्फ 5 याचिकाएं देने को कहा गया है। इसके अलावा, अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में कोई बहाली नहीं होगी। फिलहाल, इस बार भी सुनवाई टल गई है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 15 मई को होनी है। जानते हैं याचिकाओं के वे आधार जिन पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
वक्फ कानून को इन आधारों पर दी गई है चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून को संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 29 और 30 के तहत चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि धर्म किसी का भी निजी मामला होता है। ऐसे में सरकार इस मामले को कानून बनाकर दखल नहीं दे सकती है। देश के कई गैर सरकारी संगठनों, मुस्लिम संगठनों और विपक्षी कांग्रेस समेत कई लोगों ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दे रखी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह चुनिंदा याचिकाओं पर ही सुनवाई करेगा। पिछली सुनवाई में ये बातें उठ चुकी हैं।
क्या नया वक्फ कानून अनुच्छेद 25 का उल्लंघन
याचियों का कहना है कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 25 यानी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। इस अनुच्छेद के तहत भारत के हर व्यक्ति को अपनी अंतरात्मा के मुताबिक धर्म को मानने, अपनी परंपराओं का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार है। साथ ही किसी भी धार्मिक प्रथा से जुड़ी किसी भी वित्तीय, आर्थिक, राजनीतिक या अन्य धर्मनिरपेक्ष गतिविधि को नियंत्रित और प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। ये अनुच्छेद अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संपत्ति और संस्थानों का प्रबंध करने का अधिकार देता है। ऐसे में अगर वक्फ संपत्तियों का प्रबंध बदलता है या इसमें गैर-मुस्लिमों को शामिल किया जाता है तो यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो सकता है।
अनुच्छेद 26 का क्या उल्लंघन करता है वक्फ कानून
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, नया वक्फ कानून अनुच्छेद 26 का भी उल्लंघन करता है। यह अनुच्छेद धार्मिक समुदाय को अपने धार्मिक संगठनों के रखरखाव का अधिकार देता है। मगर, अब नए वक्फ कानून से धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन का अधिकार छिन जाएगा। इसी तरह अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीनना अनुच्छेद 29 और 30 का उल्लंघन माना जाता है। इन अनुच्छेदों का उद्देश्य अल्पसंख्यक वर्गों के हितों की रक्षा करना और उनकी संस्कृति, भाषा और शिक्षा को बढ़ावा देना है।
अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
किसी भी नागरिक वर्ग को अपनी अलग भाषा, लिपि या संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है।
धर्म, नस्ल, जाति, भाषा या उनमें से किसी के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।