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हार्ट में होते हैं 4 वाल्व, एक भी खराब हुआ तो हार्ट अटैक पक्का, 6 लक्षण दिखते ही भागें डॉक्टर के पास

हार्ट वाल्व डिजीज एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर समय पर पता लग जाए और सही इलाज हो, तो इसे संभालना संभव है। इसके लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय रहते डॉक्टर से सलाह लें। नई तकनीकों की मदद से आज इस बीमारी का इलाज पहले से ज्यादा बेहतर और आसान हो गया है।

हार्ट वाल्व क्या है ?
दिल में चार वाल्व होते हैं जो खून को सही दिशा में बहने में मदद करते हैं। जब दिल के एक या एक से ज्यादा वाल्व ठीक से काम नहीं करते, तो उसे हार्ट वाल्व डिजीज कहा जाता है। कभी-कभी ये वाल्व पूरी तरह से नहीं खुलते या बंद नहीं होते, जिससे खून का बहाव गड़बड़ा जाता है। डॉ. शुभेंदु मोहंती, सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट, शारदा केयर हेल्थसिटी के अनुसार, अगर समय पर इलाज न हो, तो इससे हार्ट फेल होना, स्ट्रोक, खून के थक्के और दिल की लय में गड़बड़ी जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

हार्ट वाल्व डिजीज के प्रकार स्ट्रेनोसिस और रिगरजिटेशन
स्ट्रेनोसिस – जब वाल्व सख्त हो जाते हैं और खुलने में दिक्कत होती है। इससे खून का बहाव कम हो जाता है। रिगरजिटेशन – जब वाल्व अच्छे से बंद नहीं होते और खून वापस लीक होता है।

प्रोलैप्स और एट्रेसिया
प्रोलैप्स तब होता है जब वाल्व लटक जाते हैं और पीछे की ओर झुकते हैं, जिससे खून वापस जा सकता है। एट्रेसिया में जब कोई वाल्व बना ही नहीं होता और खून का बहाव रुक जाता है। यह आमतौर पर फेफड़ों से जुड़ा वाल्व होता है।

हार्ट वाल्व डिजीज कारण
उम्र बढ़ने पर वाल्व की बनावट में बदलाव, हार्ट अटैक या कोरोनरी आर्टरी डिजीज, दिल में इन्फेक्शन, जन्म से जुड़ी खराबी, सिफलिस नामक यौन रोग और जेनेटिक रोग मायक्सोमेटस डिजनरेशन।

हार्ट वाल्व डिजीज के लक्षण
कई लोगों में इस बीमारी के लक्षण सालों तक नहीं दिखते। लेकिन जब लक्षण दिखते हैं, तो इनमें शामिल हैं सांस लेने में दिक्कत (चलते समय या लेटने पर), थकावट, सीने में दर्द, चक्कर आना या बेहोशी, टखनों और पैरों में सूजन और दिल की धड़कन का अनियमित होना।

ट्रांसकैथेटर तकनीक है इलाज का बढ़िया ऑप्शन
पहले हार्ट वाल्व डिजीज के इलाज के लिए सिर्फ सर्जरी ही विकल्प था। इससे बुजुर्ग या गंभीर बीमारियों वाले मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता था। लेकिन पिछले 20 सालों में तकनीक में बहुत सुधार हुआ है। अब ट्रांसकैथेटर तकनीक और अन्य आसान तरीकों से भी इलाज किया जा सकता है।

 

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